आज पूरा हिन्दू समाज और उस से जुड़े हिन्दू संघठन एक बड़ी साजिश का शिकार हो रहे है. वो जितना इस से निकलने की कौशिश करेंगे उतना ही इसमें धंसते चले जायेंगे और इस का नवीनतम शिकार राष्ट्र स्वयम सेवक संघ है. इस अत्यंत ही गहरी साजिश को समझना पड़ेगा और आज नहीं समझे तो अगले कुछ साल सिवाए रोने और पीटने के कुछ नहीं बचेगा. कांग्रेस की चाल को समझने के लिए दिमाग खर्च करना पड़ेगा. जैसे की गुरूजी ने भी कहा है मुझे इमानदार, बहादुर, सभ्य, सुशिल, कर्मठ स्वयम सेवक ही नहीं चाहिय बल्कि इन गुणों के साथ उसमे चतुरता भी होनी चाहिए. इस बात को कहेने का तात्पर्य गुरु जी का केवल इतना था की हम हिन्दू वास्तव में बहुत ही भोले होते है और दुसरो की चलो का शिकार बन जाते है. बात को गौर से समझना होगा की इस 'हिन्दू आतंकवाद' शब्द को गढ़ने वालो की इसके पीछे रणनीति क्या है और इसकी गंभीरता क्या है. अब इसके लिए जाना पड़ेगा १९४७ में जब हिंदुस्तान मुस्लिम गुंडई और आतंकवाद का शिकार होकर लुट पिट कर आर एस एस के स्वयम सेवको के बलिदानों से हिन्दू नस्ल को पकिस्तान और बंगलादेश के मुस्लिम गुंडों से बचाया था तो आर एस एस की बहुत ही उम्दा और शानदार पब्लिक इमेज थी. फिर हिंदुस्तान में सभी लोग मानते थे की मुसलमान अपना अधिकार लेगाए और हमारे कांग्रेसी नेता जो अपनी लाश पर पाकिस्तान बनवाने की बात करते थे के चेहरे की सच्चाई भी जनता के सामने चुकी थी. अब हिंदुस्तान की वास्तविक शक्ति किसी हिन्दू हितेषी व्यक्ति और संघठन के हाथ में ही जाएगी और निश्चित रूप से जाती भी. परन्तु कांग्रेस और उसके विदेशी मित्रो ने एक रणनीति बनाई और उसमे संघ को लपेट लिया. विदेशी शत्रु यह वो ही थे जो लाल बहादुर शास्त्री और सुभाष चन्द्र की हत्या के संद्ये के घेरे में थे. और स्वतंत्रता के आस पास ऐसी ही सारी घटनाये हुई है. नेताजी का जाना उन्ही बड़ी साजिशो में से एक था. फिर कालांतर में उनके द्वारा बनाये गए संघठनो को ठीक उनके विरुद्ध विचारधारा के हाथो में जाने दियागया. भाई, गाँधी की विचारधारा आज सोनिया के पास है, नेताजी की वाम दलों के पास है. अरे जैसे बेनजीर की जरदारी के हाथ में है. असल में जनता उसके पारिवारिक वारिस को देखती है उसके वैचारिक वारिस को नहीं देखती. इसी प्रकार बड़े तरीके से गाँधी की विरासत नेहरु को दे दी और उसकी फिर इन्द्रा जी को बीच में लाल बहदुर शास्त्री जैसा कांटा आया तो हटा दिया. अब इनको तिरंगे में लपेट कर हमे भावुक बना दिया और फिर अपने खेल में शुरू होगये. फिर कालांतर में उसी साजिश के तहेत इन्द्रा जी को निपटा कर सोनिया जी के हाथ सत्ता आगई. तो १९४८ में गाँधी को निपटा कर उसका ठीकरा सीधा आर एस एस पर फोड़ दिया और भोले हिन्दू समाज को डरा दिया की वीर सावरकर और संघ टाईप का आतंकवाद हिंदुस्तान में आ चुका है. अब हिंदुस्तान जो आजादी के बाद बड़े ही स्वर्णिम ख्वाब देख रहा था कांग्रेस के इस डरावे से अपने ही संघठनो के इस तप, तेज को देख कर डर गया. और हिन्दू एसा अब से नहीं हजारो वर्षो से करता आ रहा है और निश्चित रूप से हिन्दू आज भी वैसा ही करेगा (सबजकटिड) क्योंकि उसको लगता है की किसी भी हिंसक आन्दोलन से अपने आपको जोडपाने में वो अक्षम ही मानता है. देखा नहीं हिन्दू समाज में आज भी धारण चली आ रही है की शहीद हो तो पड़ोसियों के गर मेरे न हो. फिर हिन्दू धर्म पर लगी चीजो का विरोध या उस सच्चाई को लाना तो उसके बूते की ही बात नहीं. तो महातम गाँधी तो महान बन गया और संघ एक हिंसक संघटन घोषित हो गया. अच्छा १९४८ में नेहेरू और कांग्रेस को भी था की संघ पर प्रतिबंध ज्यादा नहीं चलेगा क्यूंकि उसमे सच्चाई कुछ है ही नहीं परन्तु उस कुप्रचार से उस काल खंड में संघ संद्ये के घेरे में आ गया और लोगो ने (लोगो से मतलब आम जनता से है) ने दुरी बनाई और कांग्रेस को धडाधड वोट डालनी शुरू कर दी. कांग्रेस और विदेशी शक्तिया भी यह ही चाहती थी. और इधर संघ और उसे से जुड़े लोग अपने को पाक साफ़ करने में जुट गए. और बड़ी ही बहादुरी से प्रतिबंध का सामना किया. परन्तु रानीतिक रूप से भयंकर भूल कर दी जैसे भूल आज भी जारी है. बाद में प्रतिबंध के बाद संघ वीरो की तरह फिर से खड़ा हुआ परन्तु सही रूप में भरपाई नहीं हुई जो बीस साल की मेहनत थी उस पर तब तक काफी कुछ लुट चूका था. अरे भैया शेर जब सबसे ज्यादा भूखा और शक्ति हीन होता है तभी उसे सबसे ज्यादा शक्ति और शिकार की आवश्यकता होती है. इस प्रकार अब (संघ) जब सबसे ज्यादा प्रीताडित किया जाता है तभी सबसे ज्यादा सबल, शक्ति, धेर्य और आक्रामकता की जरुरत होती है. उस समय जब मुस्लिम गुंडों के कई सालो के अत्याचारों से मुक्ति मिली उसका उत्सव मानना था, एक नई क्रांति का प्रस्फुटन करना था, संघ को देश की बागडोर देनी थी तभी तुम्हारे साथ साजिश कर दी गई. और पूरा संघ उस ही चक्रवीहु में फंस गया. फिर जब बाबरी ढांचा ढाया गया और हिन्दू शक्ति संघठित होगई थी तो फिर से आम हिन्दू समाज को संघ से डराया गया की इस से सम्बन्ध रखने वाला देश विरोधी और कानून विरोधी हो जायेगा. तो आम हिन्दू डर कर संघ से अपने संबंधो को झुटलाने लगा और दूर होगया. यहाँ एक बात स्पस्ट कर दू में आम हिन्दू की बात कर रहा हु न की संघ के प्रचारक और तपे हुए स्वयम सेवक की. तो कांग्रेस ने एक ही झटके में संघ के तपस्या फिर १९४८ की तरह भंग कर दी और फिर से हिन्दू शक्ति छिन्न भिन्न होगई. इसी प्रकार से आज भी जारी है. जब मुस्लिम तुष्टिकरं, मुस्लिम गुंडई, आतंकवाद और सरकारी दमन (आम हिन्दू का आर्थिक रूप - महगाई) से कहराती हुई जनता को फिर से संघ से दूर कर के हिन्दू शक्ति का एक पुंज बनाने से रोका जा रहा है. और संघ फिर से अपनी सफाई में लग गया. अब संघ ही बताये और वो आम हिन्दू की पीड़ा को समझता है की यदि कांग्रेस और फिर से विदेशी शक्तिओ को संघ को कटघेरे में खड़ा कर दिया इस हिन्दू आतंकवाद के नाम पर तो आम हिन्दुस्तानी कैसे अपने को संघ से जोड़ेगा और जिन महानगरो में संघ के विचार से लोग प्रभावित होरहे थे कैसे वो देश के संविधान के सामने खड़े होंगे. यही पीड़ा सरदार भगत सिंह की थी, यही पीड़ा नेताजी की, आजाद जी की, वीर सावरकर की थी की सरकार ने उनसे आम जन जुड़ने ही नहीं दिया और आज वोही रणनीति कांग्रेस की है. संघ को मालूम है की चूल्हे से रोटी निकालने के लिए हाथ जालना ही पड़ता है. मेरा अनुरोध है की कांग्रेस की रणनीति आम हिन्दू को संघ का डर दिखाना ही है जिस से संघ अपना विस्तार न कर पाए. जैसे मीडिया बीच बीच में भगवा गुंडागर्दी नाम से मीडिया में बजरंग दल को दिखाती रहेती है. इसी बात को संघ को समझनी होगी अन्यथा यहे कांग्रेस अपनी चाल में सफल होते रहे है और सफल होते रहेंगे. संघ को अपने प्रबुद्ध, बौधिक, प्रभावशाली, धर्म्गुरुवो को इस बहस में शामिल करना पड़ेगा नहीं तो कल को राम मंदिर के आन्दोलन में लोगो को जोड़ने का कार्यकर्म सफल करने में मुश्किल होएगी. भाई कांग्रेस की एक चाल है की आम हिन्दू जनता को संघठित नहीं होने देना और उनको संघ के सम्पर्क में आने से रोकना है और संघ को यह बात समझ नहीं आती क्योंकि यहे 'हिन्दू अतान्क्वाद्द' तो एक छद्म शब्द है और न इसकी कोई अहेमियत है थोड़े ही दिनों में यह स्वयम भरभरा कर गिर जायेगा परन्तु जो इस का प्रभाव है उसको भरने में बहुत समय लगेगा. अब इस का इलाज तो संघ को ही करना होगा और आज ही मुहं तोड़ जवाब देना होगा. कई लोग सोच रहे होंगे की संघ ही क्यों जवाब दे, तो मित्रो हर युग में सीता को ही अग्नि परीक्षा देनी होती है. मुझे जा सबसे बड़ा डर है की आम जनता जो सच्चाई जानती है परन्तु सड़क पर नहीं निकल सकती एक नेतृत्व के बिना, आज लोग सच्चाई जानते है परन्तु संघ इस का मीडिया, सडको और संसद में इसका जवाब नहीं देता तो संघ तो एक दिन स्वयम इस संकट से एक दिन निकल कर खड़ा हो ही जायेगा परन्तु लोगो की भावनाओ को अपने साथ आज जोड़ पाने में नाकामयाब ही होगा. हर स्तर पर बीजेपी की तरह जैसे उसने महंगाई पर कांग्रेस को अपने दम पर विपक्षी लोगो को मिलाकर घेरा जो काबिले तारीफ है और कांग्रेस की इस हिन्दू धर्म को अपवित्र करने की हिन्दू आतंकवाद नामक शब्दजाल बुनने के पीछे येही एक कारन भी है. तो संघ को भी आज ही सड़क से लेकर संसद तक सरकार और कांग्रेस को घेरना पड़ेगा और उसको घुटने टिकवाने पड़ेंगे अन्यथा संघ का भी हिन्दू समाज के प्रति बहुत बड़ा अपराध होगा क्यूंकि फिर लम्हों की खता सदिय पाएंगी और हिन्दू फिर से घुट घुट कर जीने को मजबूर होगा. क्यूंकि पानी सर से ऊपर जा चूका. आज महाराणा प्रताप, वीर सवारकर, राणा सांघा का जिक्र करना भी संविधान विरोधी और अपराध की श्रेणी में इस सरकार ने ला दिया है. मेरा सभी मित्रो से करबध होकर नम्र विनती है की कांग्रेस और सरकार की संघ और हिन्दू समाज को बदनाम करने के लिए आज अभी आवाज बुलंद करनी होगई और इन दुष्ट अम्बियो,जयचंदों, शिव राशियो को सबक सिखाना होगा. जय भारत जय भारती.
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